आस्था का महापर्व छठ पर शुद्धता का विशेष ध्यान रखा , जाने विशेषता

उधव कृष्ण/पटना। आस्था का महापर्व छठ पर शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है। यही कारण है कि लोग जिन घाटों पर छठ त्यौहार मनाते हैं, वहां की साफ-सफाई से लेकर अन्य तरह के प्रयोजन भी करते हैं। पटना का भी एक ऐसा ही घाट है, जिसके तालाब की शुद्धिकरण के लिए 11 तीर्थ स्थलों का जल इसमें प्रवाहित किया गया है।
पटना में गंगा घाट के विकल्प के रूप में मंगल तालाब को छठ पूजा के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है। इसमें संयुक्त रूप से पाटलिपुत्र परिषद, जिला प्रशासन, गायत्री परिवार और अन्य सामाजिक संस्थाओं ने भागीदारी निभाई है। इस तालाब में कुल 3 घाट बनाए गए हैं। साथ ही व्रतियों की सुविधाओं का ध्यान रखते हुए पार्किंग से लेकर प्रकाश और पेय जल जैसी मूलभूत सुविधाओं की भी प्रबंध यहां की गई है।
पवित्र जलों, दुग्ध और हवन से किया गया शुद्धिकरण
आयोजकों का बोलना है कि पटना में मंगल तालाब को छठ पूजा के लिए विशेष तौर से व्यवस्थित किया गया है।इस तालाब के शुद्धिकरण हेतु इसमें 11 तीर्थ स्थलों का पवित्र जल, 101 किलो दूध और पूजा की अन्य सामग्रियों को डाला गया है। साथ ही हवन और मंत्रोच्चार के माध्यम से भी इसका निर्मलीकरण किया गया है।
2700 साल पुराना है इस तालाब का इतिहास
इतिहास के जानकार बताते हैं कि मौर्यकाल में मानसरोवर के नाम से प्रचलित इस तालाब की ऐतिहासिकता का बोध इस विशाल तालाब के चारों ओर घूम कर किया जा सकता है। यहां एक ओर प्राचीन बिहार हितेषी पुस्तकालय है तो दूसरी ओर खानकाह ईमादिया है। इसे शेख मट्ठा की गढ़ी और मैंगलिस टैंक के रूप में भी जाना जाता रहा है। बाद में मंगल तालाब और फिर गांधी सरोवर के नाम से यख विख्यात हुआ।
बापू को प्रिय था यह जगह
शिक्षाविद् विजय कुमार सिंह बताते हैं कि यह तालाब पटना में गांधी जी के प्रिय जगहों में से एक थी। गांधी जी चार बार यहां आए थे। अपने पटना प्रवास के समय बापू यहां टहलने के लिए आते थे। श्री सिंह बताते हैं कि गांधी जी द्वारा यहां प्रार्थना सभा भी की गई थी। इतना ही नहीं फणीश्वरनाथ रेणु ने भी इसे सांस्कृतिक केंद्र बताया था।